सिख धर्म के दसवें नानक, गुरु गोबिंद सिंह जी की जीवनी (Guru Gobind Singh Ji History, Biography in Hindi)

गुरु गोबिंद सिंह की जीवनी (Guru Gobind Singh Biography In Hindi) 

Guru Gobind Singh 352nd Jayant-गुरु गोबिंद सिंह ने सिख धर्म के लिए अपना सारा जीवन अर्पित कर दिया था और ये इस धर्म के दसवें गुरू थे. इन्होंने इस धर्म को बढ़ाने में और इस की पवित्र किताब गुरु ग्रन्थ साहिब की स्थापन की थी. इनसे पहले इनके पिता इस धर्म के गुरू थे और उनकी मृत्यु के बाद इन्हें इस धर्म का दसवां गुरू बनाया गया था. वहीं इस वर्ष यानी 2019 में इनकी 352वीं जंयती है और हर साल की तरह इनकी याद में इनकी जंयती के अवसर पर कई तरह के कार्यक्रम गुरुद्वारों में आयोजित किए जाते हैं.

गुरु गोबिंद सिंह का परिचय (Guru Gobind Singh Introduction)

पूरा नाम (Full Name)   गुरु गोबिंद सिंह
जन्म तिथि (Birth Date) 5 जनवरी 1666
जन्म स्थान (Birth Place) पटना साहिब
मृत्यु तारीख 7 अक्टूबर 1708
कहां हुई मृत्यु हजूर साहिब नांदेड़ 
किस आयु में हुई मृत्यु 41
कैसे हुई मृत्यु घाव से खून अधिक निकलने से
राष्ट्रीयता (Nationality) भारतीय
धर्म (Religion) सिख धर्म
पिता का नाम (Father’s Name) गुरु तेग बहादुर
माता का नाम (Mother’s Name) माता गुजरी
पत्नी का नाम माता जीतो, माता सुंदरी और माता साहिब देवन
बच्चों के नाम अजीत सिंह
जुझार सिंह
जोरावर सिंह
फतेह सिंह
प्रसिद्ध कार्य खालसा के स्थापना
अन्य नाम (Nick Name) दसवां नानक
उत्तराधिकारी गुरु   गुरु ग्रन्थ साहिब

 

गुरु गोबिंद सिंह का व्यक्तिगत जीवन (Guru Gobind Singh Personal life) –

गुरु गोबिंद सिंह जी का बचपन-

गुरु गोबिंद सिंह का जन्म सन् 1666 में हुआ था और जिस वक्त गोबिंद जी का जन्म हुआ था उस समय ये उपदेश देने के लिए अन्य राज्य में गए हुए थे. पटना में जन्म गोबिंद सिंह ने अपने जीवन के चार साल अपने जन्म स्थान पर ही गुजारे थे और सन् 1670 में ये परिवार के संग अपने राज्य पंजाब वापस आए गए थे. यहां आकर इन्होंने चक्क ननकी (Chakk Nanki) शहर में समय बिताया था और इस शहर से ही अपनी शिक्षा हासिल की थी. वहीं चक्क ननकी को वर्तमान में आनंदपुर साहिब  के नाम से जाना जाता है और इस शहर को इनके पिता द्वारा स्थापित किया गया था.

कब बनें दसवें गुरू

साल 1675 में इनके पिता की हत्या दिल्ली में मुगल बादशाह औरंगजेब के कहने पर कर दी गई थी. इनके पिता की शहादत के बाद, गोबिंद जी को दसवां सिख गुरु बनाया गया था और ये 29 मार्च 1676 के दिन दसवें सिख गुरू बने थे.

गुरु गोबिंद सिंह की पत्नी और बच्चे

गुरु गोबिंद सिंह ने अपने जीवन में तीन शादी की थी और इन्होंने अपना प्रथम विवाह 21 जून, 1677 में  किया था और इनकी पत्नी का नाम माता जीतो था. जिस वक्त गोबिंद जी की शादी हुई थी उस वक्त इनकी आयु 10 साल की थी. वहीं इस शादी से इन्हें तीन बच्चे हुए थे जिनके नाम इन्होंने जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फ़तेह सिंह रखा था.

17 साल की आयु में इन्होंने दूसरी शादी की थी और इनकी दूसरी पत्नी का नाम माता सुंदरी था और 1684 में हुए इनके इस विवाह से इन्हें  एक बेटा हुए था जिसका नाम अजित सिंह था.

इनकी तीसरी पत्नी का नाम माता साहिब देवन था और इस शादी से इनको कोई भी बच्चा नहीं हुआ था. जिस वक्त गोबिंद सिंह ने ये विवाह किया था उस वक्त इनकी आयु  33 वर्ष की थी.

खालसा के स्थापक (Khalsa)

साल 1699 में बैसाखी के मौके पर इन्होंने अपने सिख भाईयों को आनंदपुर में आने को कहा और जब सभी सिख भाई इस जगह पर एकत्रित हो गए, तो इन्होंने इन सबसे पूछा कि कौन अपने सर का बलिदान देना चाहता है?. इनके इस सवाल को सुनने के बाद एक स्वयंसेवक ऐसा करने के लिए राजी हो गया. जिसके बाद उस स्वयंसेवक को ये एक तम्बू में ले गए और कुछ समय बाद एक खून भरी तलवार लेकर बाहर आए. बाहर आने के बाद इन्होंने फिर से यही प्रश्न पूछा और फिर एक स्वयंसेवक अपना बलिदान देने के लिए राजी हो गया.

इस प्रकार इन्होंने ये सवाल पांच बारी पूछा और पांचों बारी पांच स्वयंसेवक ने अपना बलिदान देने के लिए हाथ ऊपर किया. वहीं पांचवें स्वयंसेवक को तम्बू में लेकर जाने के कुछ देर बाद ये उन अन्य स्वयंसेवक संग के साथ बाहर आए जिन्होंने अपने बलिदान देने के लिए हाथ खड़े किए थे. लोगों को लग रहा था कि इन्होंने सबके सिर काट दिए हैं मगर ऐसा नहीं हुआ था. वहीं तम्बू से पांचों स्वयंसेवक को बाहर लाने के बाद इन्होंने इन पांचों को पंज प्यारे नाम दिया और ये पहले खालसा बनाए गए. इन पांच खालसा को इन्होंने सिंह नाम (Surname) दिया और अपने आपको छटवां खालसा बनाते हुए, खुद का नाम गुरु गोबिंद राय से बदलकर गुरु गोबिंद सिंह रख लिया.

पाँच ‘क’ (The Five Ks)

गुरु गोबिंद सिंह के सिद्धांतों के मुताबिक सभी खालसा सिखों द्वारा पांच चीजें, जिनका नाम क से शुरू होता है वो धारण किए जाते हैं और ये चीजें केश, कंघा, कड़ा, किरपान, कच्छा हैं.

गुरु गोबिंद सिंह द्वारा लड़े गए युद्ध- 

ऐसा माना जाता है कि इन्होंने अपने जीवन काल में चौदह युद्ध लड़े थे और इन चौदह युद्ध में 13 युद्ध इन्होंने मुगल साम्राज्य के खिलाफ लड़े थे. वहीं साल 1704 में मुगल के खिलाफ लड़ाई करते वक्त इनके सबसे बड़े पुत्रों शहीद हो गए थे. जिस वक्त इनके पुत्र शहीद हुए थे उस वक्त उनकी आयु 13 और 17 वर्ष थी. जबकि इनके छोटे पुत्रों को मुगल सेना द्वारा बंदी बनाया गया था और जब उन्होंने इस्लाम धर्म कुबूल ने से इंकार कर दिया था, तो उनकी हत्या कर दी गई थी. वहीं इनके बेटों की हत्या की खबर जैसे ही गोंबिद जी की मां को पता चली तो वो ये सदमा सहन ना कर रखी और उनकी भी मृत्यु हो गई.

गुरु गोबिंद सिंह जी की मृत्यु (Shri Guru Gobind Singh Ji Death)

इनके सेनापति श्री गुर सोभा के मुताबिक इनकी मृत्यु दिल के पास लगी एक गहरी चोट के चलते हई थी और इन्होंने 7 अक्टूबर, 1708 को अपने जीवन की अंतिम सांस हजूर साहिब नांदेड़ में ली थी और अपना शरीर त्याग दिया था.

गुरु गोबिंद सिंह जी की 352वीं जंयती (Guru Gobind Singh Jayanti, 352nd Birth Anniversary) –

साल 2019 में उनकी 352वीं जयंती है और उनकी जयंती के अवसर पर कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. वहीं इस बार इनकी 352वीं जयंती पर पीएम मोदी द्वारा एक स्मारक सिक्का जारी किया जाएगा, जो कि इनकी याद के तौर पर जारी होगा.

गुरु गोबिंद सिंह जी की 352वीं जंयती की शुभकामनाओं की फोटो (Guru Gobind Singh Jayanti, 352nd Birth Anniversary wishes Images 2019) –

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