झांसी की रानी लक्ष्मी बाई का जीवन परिचय और कहानी (Rani Lakshmibai Biography In Hindi,History,Movie)
झांसी की रानी लक्ष्मी बाई भारत की भूमि पर जन्म एक महान योद्धा थी जिन्होंने अपनी अंतिम सांस तक अंग्रेजों का मुकाबला बिना किसी डर के किया था. इनके जीवन से लोग इतने प्रभावित हुए हैं कि इनके जीवन पर कई सारी किताबें और फिल्में भी बनी हैं और इन फिल्मों के जरिए लोगों को इनकी बहादुर के बारे में दिखाया गया है.
रानी लक्ष्मी बाई से जुड़ी जानकारी-
नाम (Name) | रानी लक्ष्मी बाई और मणिकर्णिका ताम्बे |
जन्म दिन (Birth Date) | 19 नवंबर 1828 |
जन्म स्थान (Place Of Birth) | वाराणसी, हिंदुस्तान |
मृत्यु स्थान | ग्वालियर |
मृत्यु की तारीख | 18 जून 1858 (आयु 29 वर्ष) |
शिक्षा (Education) | जानकारी नहीं |
धर्म (Religion) | हिंदू |
नागरिक्ता | भारतीय |
पति का नाम | झांसी नरेश महाराज गंगाधर राव नयालकर |
पिता का नाम | मोरोपंत शिव ताम्बे |
माता का नाम | माँ भागीरथी सप्रे |
बच्चों का नाम | दामोदर राव, आनंद राव |
रानी लक्ष्मी बाई का जन्म और परिवार (Rani Lakshmi Bai’s Birth and Family) –
- रानी लक्ष्मीबाई का नाम इतिहास के पन्नों पर सुनहरे शब्दों में लिखा गया है. इनका जन्म सन् 1828 में वाराणसी शहर में एक मराठी करहादे ब्राह्मण परिवार में हुआ था और इनका असल नाम मणिकर्णिका ताम्बे था. जबकि इनको इनके परिवार वाले प्यार से मनु पुकारा करते थे.
- इनके पिता का नाम मोरोपंत शिव ताम्बे (Moropant Tambe) था जो कि बिठूर जिले के पेशवा थे. वहीं जिस वक्त रानी लक्ष्मीबाई चार वर्ष की थी उस वक्त इनकी माता भागीरथी सप्रे का निधन हो गया था.
रानी लक्ष्मी बाई की शिक्षा
रानी लक्ष्मी बाई ने अपनी पढ़ाई अपने घर से ही की थी और इनको शूटिंग, घुड़सवारी, तलवारबाजी जैसी चीजे भी आती थी. इन्होंने अपने बचपन का ज्यादातर वक्त नाना साहिब और तात्या टोपे के संग बिताया हुआ है और ये दोनों इनके काफी अच्छे दोस्त थे.
रानी लक्ष्मी बाई का विवाह
मणिकर्णिका का विवाह 14 साल की आयु में झाँसी के राजा गंगाधर नयालकर से किया गया था. जो कि शिव राव भाऊ के पुत्र थे. हालांकि जिस वक्त इनका विवाह मणिकर्णिका से हुआ था उस वक्त इनकी क्या आयु थी इसकी जानकारी उपलब्ध नहीं है. लेकिन ये मणिकर्णिका से आयु में बड़े थे.
कैसे पड़ा रानी लक्ष्मी बाई नाम
शादी के बाद मणिकर्णिका का नाम बदल दिया गया था और इनको लक्ष्मी बाई का नाम दिया गया था. जो की माता लक्ष्मी के नाम पर रखा गया था. और इस तरह से शादी के बाद इनको रानी लक्ष्मी बाई के नाम से जाना जाने लगा.
रानी लक्ष्मी बाई के बच्चे
शादी के नौ साल बाद इन्होंने एक पुत्र को जन्म दिया था. हालांकि इनके पुत्र का निधन महज चार महीने के बाद हो गया था और इन्होंने अपने बेटे का नाम दामोदर राव रखा था. वहीं इनके पुत्र का निधन होने के बाद इन्होंने गंगाधर राव के चचेरे भाई के बेटे को गोद ले लिया था जिसका नाम आनंद राव था, मगर उसका नाम दामोदर राव कर दिया गया.
सन् 1853 में हुआ पति का निधन
सन् 1853 में इनके पति का निधन हो गया था और इनके पति के निधन के बाद उनके राज्य की सारी जिम्मेदारी रानी लक्ष्मी बाई पर आ गई थी. वहीं रानी लक्ष्मी बाई को खुद का कोई बेटा नहीं था तो ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने उनके द्वारा गोद लिए गए उनके बेटे को उत्तराधिकारी मानने से मना कर दिया था. दरअसल उस वक्त अंग्रेजों द्वारा Doctrine of Lapse लागू कर दिया गया था और इसके मुताबिक अगर किसी राज्य के राजा का निधन हो जाता है और अगर उस राजा का कोई भी अपना सगा पुत्र नहीं होता है, तो वो राज्य ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन हो जाएगा. जिसके कारण अंग्रेजों द्वारा रानी लक्ष्मी बाई के पति के निधन के बाद उनसे उनका राज्य छीनना जा रहा था. वहीं उनसे इस राज्य को छीनने के बदले उन्हें अंग्रेजों द्वारा वार्षिक पेंशन 60,000 देने का ऐलान हुआ था. लेकिन रानी ने अपने राज्य को देने से मना कर दिया था और अंग्रेजों के इस नियम को स्वीकार नहीं किया था.
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी से किया युद्ध
अपने राज्य को बचाने के लिए रानी लक्ष्मी बाई ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया के खिलाफ काफी समय तक युद्ध लड़ा. इस युद्ध की शुरुआत सन् 1857 के भारतीय विद्रोह से हुई थी. दरअसल सन् 1958 में झांसी से रानी लक्ष्मी बाई को निकालने के लिए अंग्रेजों की सेना द्वारा खूब कोशिशें की गई है और इस साल इन्होंने झांसी को चारों और से घेर लिया था. इसी बीच अंग्रेजों द्वारा झांसी को तबाह कर दिया था और अपनी और अपने बच्चे की रक्षा करने के लिए और अंग्रेजों से बदला लेने के लिए रानी लक्ष्मी बाई ने महल से भागने का निर्णय लिया. ताकि वो अपने दोस्त टंटिया टोपे के साथ मिलकर उनकी सेना की मदद से अंग्रेजों से मुकाबला कर सकें.
कहा जाता है कि महल से निकलने के लिए रानी ने अपने धोड़े बादल का सहारा लिया था और ये इस घोड़े पर अपने बेटे के साथ और अपने कुछ सिपाही के साथ इस महल से भाग गई थी. महल से भागने के बाद ये कालपी में जाकर रहने लगी और अंग्रेजों को जैसे ही इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने कालपी पर भी हमला कर दिया. हालांकि इस बार भी रानी अंग्रेजों के हाथ नहीं लगी और वो ग्वालियर चली गई.
रानी लक्ष्मी बाई का निधन (Rani Lakshmi Bai Death)
ग्वालियर जाने के बाद इन्होंने ग्वालियर के किले को अन्य लोगों के साथ कब्जे में ले लिया. वहीं इसी दौरान 16 जून को अंग्रेजों द्वारा इस महल पर हमला कर दिया गया और कुछ दिनों तक अंग्रेजों के साथ चले इस युद्ध में रानी ने बहादूर से इनसे लड़ाई की. लेकिन इनसे जीत ना पाई और इन्होंने अपने जीवन की अंतिम सांस ग्वालियर की भूमि पर ली.
रानी लक्ष्मी बाई पर बनीं फिल्म
रानी लक्ष्मी बाई के जीवन पर मणिकर्णिका फिल्म बनाई गई है और इस फिल्म में इनके जीवन को दिखाया गया है. इस फिल्म में कंगना इनका रोल अदा कर रही हैं और ये फिल्म साल 2019 में आ रही है.