155 साल पहले सोशल डिस्टेंसिंग के तहत हुआ था कुंभ मेला, देश में फैली थी ये खतरनाक बीमारी

कोरोना महामारी के कारण लोग घरों के अंदर रहने को मजबूर हैं और सादगी के साथ पर्वों को मना रहे हैं। कोरोना महामारी के बीच ही इस वर्ष कुंभ (kumbh mela 2021) का मेला भी आ रहा है। कुंभ मेले के आयोजन पर कोरोना वायरस का असर पड़ा है और इस बार ये मेला महज 40 दिनों का ही होने वाला है। साल 2021 के कुंभ मेला का भव्य आयोजन उत्तराखंड सरकार द्वारा किया गया है और हरिद्वार में ये मेला होने वाला हैं।

kumbh mela 2021 corona, कोरोना कुंभ मेला 2021
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इस बार सोशल डिस्टेंसिंग के तहत लोग कुंभ मेले में हिस्सा लेंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं की 155 साल पहले भी देश में ऐसी स्थिति आई थी। जब कुंभ मेला सोशल डिस्टेंसिंग के तहत किया गया है। दरअसल सन् 1866 में हरिद्वार में ये मेला आयोजित हुआ था और उस समय प्लेग महामारी का साया भारत पर था। जिसके कारण ब्रिटेश सरकार ने कुंभ के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन लोगों से करवाया था।

गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के पुस्कालय में रखी किताबों में साल 1866 में हुए कुंभ का उल्लेख किया गया है। उल्लेख करते हुए लिखा गया है कि 1866 में संतों वअखाड़ों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर गंगा नदी में तीन डूबकियां लगाई थी। क्योंकि उस समय देश में प्लेग महामारी फैली हुई थी।

उस दौरान जब देश में प्लेग महामारी फैली तो कुंभ और अर्द्धकुंभ मेलों था। साल 1844 के हरिद्वार कुंभ मेले में संक्रमण काफी बुरी तरह फैला था। इसे देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने सख्ती लागू की और कुंभ मेले में आने वाले लोगों पर रोक लगा दी थी। इसके बाद साल 1866 के हरिद्वार कुंभ के आयोजन की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग को दिया गई और तीर्थयात्रियों को लाइन लगवाकर घाटों पर जाने दिया गया था।

गौरतलब है कि इस साल हरिद्वार में कुंभ होने वाला है और कोरोना के कारण कई नियम बनाएं गए हैं। जिनका पालन करने वालों को ही इस मेले में हिस्सा लेने दिया जाएगा।

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