13 अप्रैल को है बैसाखी का पर्व, महाभारत काल से जुड़ी है कथा ( Baisakhi 2020 Images)

Baisakhi 2020 Images: बैसाखी या वैशाखी का त्योहार पंजाब के प्रसिद्ध त्योहारो में से एक है और वैशाखी का पर्व हर साल मेष संक्रांति के दिन आता है। इस दिन सूर्य देव मेष राशि में प्रवेश करते हैं। बैसाखी के दिन से किसान अपनी फसलों की कटाई शुरू करते हैं और अग्नि देव की पूजा करते हैं। बैसाखी के त्योहार को सिख खूब उत्साह के साथ मनाते हैं। क्योंकि इस दिन ही गुरु गोविंद सिंहजी ने खालसा पंथ को स्थापित किया था। बैसाखी के दिन सिख खास पूजा करते हैं और इस दिन गुरुद्वारों को अच्छे से सजाया जाता है।

बैसाखी 2020

बैसाखी 2020 में 13 अप्रैल को है कि 14 अप्रैल को। ये सवाल कई लोगों के मन में आ रहा है। दरअसल साल 2020 में बैसाखी का पर्व 13 अप्रैल को आ रही है और इस दिन ही मेष संक्रांति भी है। वहीं बैसाखी 2021 में 14 अप्रैल के दिन आने वाली है।

बैसाखी का महत्व

बैसाखी का महत्व सिख धर्म में काफी है और इस धर्म के लोग इस त्योहार को काफी धूमधाम से मनाया करते हैं। पंजाब के लिए भारत के अन्य हिस्सों में भी बैसाखी को मनाया जाता है। सिख धर्म के अनुसार इस दिन ही उनके खालसा पंथ की स्थापना की गई थी। वहीं हिंदू धर्म में इस दिन से ही भगवान बद्रीनाथ की यात्रा की शुरुआत होती है।

पद्म पुराण बैसाखी का महत्व बताया गया है और इस पुराण में लिखा गया है कि जो लोग इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। उन लोगों को पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ में ही इस दिन से ही सौर नववर्ष का आरंभ भी होता है।

इस तरह से मनाई जाती है बैसाखी

बैसाखी के पर्व के दिन गुरुद्वारों को अच्छे से सजाया जाता है और इस दिन लोग गुरुद्वारे जाकर माथा जरूर टेकते हैं। वहीं शाम के समय नाच गाना होता है और अग्नि देव की पूजा की जाती है। इतना ही नहीं बैसाखी के दिन सुबह उठकर पवित्र नदियों में स्नान भी किया जाता है।

बैसाखी की कथा एव बैसाखी क्यों मनाया जाता है

बैसाखी मनाने से एक कथा जुड़ी हुई है और कथा के अनुसार जब पांडव वनवास में गए थे। तो उस दौरान एक सरोवर का पानी पीने से चार पांडवों की मौत हो गई थी। दरअसल जंगल में पानी तलाश करते हुए पांडव एक सरोवर के पास पहुंचे थे और इस सरोवर के यक्ष मे पांडवों को पानी पीने से मान किया था। लेकिन पांडव ने फिर भी इस सरोवर से पानी पी लिया। जिसके कारण चारों पांडवों की मौत हो गई। वहीं अपने भाई को वापस ना आता देख युधिष्ठिर उनकी तलाश में निकल लें। सरोवर के पास पहुंचकर युधिष्ठिर ने देखा की उनके चारों भाईयों की मृत्यु हो गई। युधिष्ठिर को यक्ष ने पूरी बात बताई और कहा कि उन्होंने चारों पांडवों को पानी पीने से मना किया था। लेकिन उन्होंने मेरी एक ना सुनाई। वहीं युधिष्ठिर ने यक्ष से कहा कि तुम मेरे भाईयों को जीवित कर दो। लेकिन यक्ष ने युधिष्ठिर के सामने एक शर्त रखती और कहा कि वो केवल एक शर्त पर ही उनको वापस से जीवन दान देंगे। अगर युधिष्ठिर  उनके सभी सवालों का जवाब सही से देंगे।

युधिष्ठिर ने यक्ष की बात मान ली और यक्ष के सभी सवालों के जवाब सही से दिए। जिसके बाद यक्ष मे युधिष्ठिर  की परीक्षा लेते हुए युधिष्ठिर से एक और प्रश्न किया और बोल, मैं केवल तुम्हारे एक भाई को ही जीविक कर सकता हूं। तो तुम मुझे बताओं की मैं तुम्हारे किस भाई को जीवित करुं। युधिष्ठिर ने अपने सौतेले भाई को जीवित करने को कहा। युधिष्ठिर के इस उत्तर से यक्ष काफी खुश हुआ और उसने चारों पांडवों को जिंदा कर दिया। तभी ये पर्व मनाया जाने लगा।

बैसाखी की हार्दिक शुभकामनाएं (Happy Baisakhi Wishes images)

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बैसाखी की हार्दिक शुभकामनाएं (Happy Baisakhi Wishes images)
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