रामायण: केवट और राम जी की कथा और केवट संवाद (Who was the kevat in Ramayana)

kevat Prasang In Hindi: रामायण से कई तरह के प्रसंग जुड़े हुए हैं और इन्हीं प्रसंग में से एक प्रंसग राम जी और केवट के मिलने का है. जब केवट राम जी को पहली बार मिलते हैं तो वो उनके आदेश को मानने से मना कर देते हैं. राम जी के आदेश को ना मानने के पीछे केवट की एक चाल थी और वो अपने एक इच्छा का पूरा करने के लिए ऐसे कर रहे थे.

आखिर को थे केवट (Who was the kevat in Ramayana?)

रामायण के अनुसार जब भगवान ने इस सृष्टि को बनाया था को उस समय पूरी पृथ्वी पानी में डूब हुई थी और इस पानी में एक कछुआ रहा करता था जो कि केवट था. केवट कई सालों तक कछुआ ही बना रहा और वो इंसान बनना चाहता था. जिसके चलते उसने एक बार भगवान विष्णु के पैरों को छूने की कोशिश की ताकि वो भगवान विष्णु के पैर छु कर इंसान बन सके. लेकिन वो ऐसा नहीं कर पाया और भगवान विष्णु के पैरों को को स्पर्श करने में नाकाम रहा. जिसके बाद केवट ने इंसान बनने के लिए भगवान विष्णु जी की पूजा करनी शुरु कर दी और केवट दिन रात केवल भगवान की तपस्या करते. केवट की तपस्या देख भगवान विष्णु खुश हो गए और उन्होंने केवट को इंसान बनने का आशीर्वाद दे दिया. जिसके बाद केवट का जन्म एक इंसान की तरह हुआ. लेकिन कछुआ रहते हुए वो भगवान विष्णु के पैरों को छू नहीं पाया और उसे इस बात का काफी दुख था.

केवट और राम जी की मुलाकात (Ramayana story: Lord Rama and boatmen Kevat )

रामायण के मुताबिक जब राम जी अपने वनवास के लिए सीता और लक्ष्मण के साथ निकले तो उन्होंने कई सारी नदी को पार करना पड़ा और इन्हीं नदियों में से एक नदी गंगा भी थी. गंगा नदी के पास ही केवट रहा करता था और वो अपने नाव की मदद से रोज कई सारी मछलियां पकड़ा करता था. एक दिन केवट की नाव गंगा नदी के तट के पास खड़ी थी और तभी राम जी सीता और लक्ष्मण के साथ गंगा नदी के किनारे आते हैं.

राम जी इस सोच में होते हैं कि वो किसी तरह से गंगा नदी को पार करें. तभी राम जी को केवट की नाव दिखती है और राम जी केवट से कहते हैं कि सुनों क्या तुम हमें नदी के पार अपनी नाव से छोड़ सकते हो. राम जी को देखकर केवट उनसे कहते हैं, मैंने सुना है कि आप ने एक पत्थर पर अपने पैर रख दिए थे और आपके पैरे की धूल से वो पत्थर एक नारी बन गया था. अगर आप मेरी नाव पर अपने पैर रखते हो तो वो भी कन्हीं नारी ना बन जाए. अगर मेरी नाव नारी बन गई तो मैं मछलियां कैसे पकड़ूगा और आप कैसे गंगा नदी पार कर सकेंगे. केवट राम जी से कहते की मैं आपको एक ही शर्त पर इस नीव पर चढ़ने दूंगा. अगर आप मुझे आपके पैर धोने देंगे.

राम केवट संवाद

राम जी केवट से कहते हैं कि जैसे तुम्हे सही लगे. राम जी के ये बात सुनते ही तुरंत केवट उनके पैर धोने लग जाता है और इस तरह से केवट की भगवान विष्णु के पैरों को छूने की इच्छा पूरी हो जाती है. राम जी के पैरों को अच्छे से धोने के बाद केवट उन्हें सीता और लक्ष्मण को गंगा नदी पार कर वा देते हैं.

आज भी केवट के वंशज मौजूद हैं और अगर आप गंगा नदी के पास जाते हैं तो आपको केवट के वंशज वहां पर नाव चलते हुए मिल जाएंगे. वहीं हर साल केवट के वंशज केवच जंयती भी खूब धूमधाम से मानते हैं.

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