एक ऐसा मंदिर जहां शिव जी के अंगूठे की होती है पूजा, हर साल दूर दूर से आतें हैं लोग
Achalgarh Shiva Temple Mount Abu-हमारे देश में कई सारे ऐसे मंदिर मौजूद हैं जो कि अपनी अलग अलग विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है और इन्हीं मंदिरों में से एक मंदिर माउंटआबू में स्थित है,जो कि एक इकलौता ऐसा मंदिर है जिसमें भगवान शिव जी के अंगूठे का पूजन किया जाता है. जी हां, इस मंदिर में आने वाले लोग शिवलिंग की जगह शिव जी के अंगूठे का पूजन करते हैं. इतना ही नहीं अचलगढ़ मंदिर नामक इस मंदिर से कई सारे रहस्य भी जुड़े हैं और आज हम आपको इन्हीं रहस्यों के बारे में बताने जा रहे हैं.
अचलगढ़ मंदिर से जुड़ी कथा
ये मंदिर माउंटआबू में स्थित है और इस मंदिर में शंकर भगवान के अंगूठे का एक निशान बना हुआ है. इस मंदिर से जुड़ी एक कथा के मुताबिक एक बार शिव जी तप कर रहे थे और तभी अर्बुद पर्वत पर बना नंदीवर्धन हिलने लगा. इस पर्वत को हिलता देख शिव जी की तपस्या बीच में ही अधूरी रहे गई है. क्योंकि इस पर्वत पर कामधेनु और बैल नंदी मौजूद थे और इनकी चिंता शिव जी को होने लगी. वहीं इस पर्वत को हिलने से रोकने के लिए शिव जी ने अपने अंगूठे का इस्तेमाल किया और अपने अंगूठे की मदद से इस पर्वत को हिलने से रोक दिया. वहीं ऐसा करने के बाद इस पर्वत पर इनके अंगूठे का निशान बन गया.
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आते हैं दूर दूर से लोग
शिव जी के इस मंदिर को देखने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं और इस मंदिर में बने शंकर भगवान के अंगूठे के निशान पर जल अर्पित करते हैं. कहा जाता है कि इस पहाड़ी पर 15वीं शताब्दी में इस मंदिर को बनाया गया और इस मंदिर में भगवान शिव के पैरों के निशान आज भी हैं.
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अंगूठे के आकर में है गढ्ढा
इस मंदिर में एक अंगूठे के आकर का गढ्ढा बना हुआ है और ये गढ्ढा कभी भी पानी से भरता नहीं है. जो कि अपने में एक चमत्कार है. इस गढ्ढा में लोगों द्वारा खूब पानी डाला जाता है मगर इस गढ्ढा से कभी भी पानी बाहर नहीं आता है और इस गढ्ढा में डाले जाने वाला पानी कहां जाता है ये एक रहस्य बना हुआ है. इस मंदिर के गर्भगृह के बाहर कई सारे भगवानों की मूर्तियां भी मौजूद हैं और ये मूर्तियां राम, कृष्णा जी सहित कई भगवानों की हैं.
कई लोग करते हैं तप
इस जगह पर शंकर भगवान के कई सारे छोटे-बड़े मंदिर मौजदू हैं और माउंटआबू में कई गुफाएं भी हैं और कहा जाता है कि इन गुफा में शिव जी ने तप किया था. जिसके चले इस समय कई साधु इन्हीं गुफाओं में तप करने के लिए अभी भी आते हैं. ऐसा माना जाता है कि आज भी यहां शिव जी को महसूस किया जा सकता है और इसी कारण के चलते साधु इस जगह आकर तप करते हैं ताकि उन्हें भगवान का आशीर्वाद मिल सके और उनका तप सफल हो सके.