नई दिल्ली: दिल्ली का मौसम अगले महीने से ठंडा होने वाला है और सर्दियां शुरू हो जाएंगी। सर्दियों के साथ ही दिल्ली का हवा का प्रदूषण स्तर (Delhi pollution level) भी खराब हो जाएगा। हालांकि दिल्ली सरकार ने राजधानी की वायु को शुद्ध रखने के लिए कई योजना शुरू की है। लेकिन पड़ोसी राज्यों में जलाई जाने वाली पराली के कारण ये सब योजना असफल ही दिखाई दे रही है। इसी बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने दिल्ली के वायु प्रदूषण का डेटा (Delhi pollution level) जारी किया है। जिसके तहत ये बताने की कोशिश की है कि फिलहाल दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर सही है। लेकिन पड़ोसी राज्यों के कारण ये स्तर खराब होने वाला है।
18 सितंबर को किए गए एक ट्वीट में दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि अक्टूबर के मध्य (पराली जलाने) से दिल्ली की हवा की गुणवत्ता खराब होने वाली है। राज्य सरकारों ने अपने किसानों को स्पोर्ट करने के लिए कुछ नहीं किया। केजरीवाल आंकड़े पेश करते हुए 18 सितंबर की दिल्ली की हवा की गुणवत्ता बताई।
एक्यूआई- 69 (0 से 50 – अच्छा, 51 से 100 – संतोषजनक)
PM10- 67
PM2.5 – 27 (0 से 30 अच्छा, 31 से 60 संतोषजनक)
Air pollution data for 19 Sep (safe limit in brackets)
AQI- 82 (0 to 50 – Good, 51 to 100 – Satisfactory)
PM10- 85 (0 to 50 Good, 51 to 100 Satisfactory)
PM2.5- 35 (0 to 30 Good, 31 to 60 Satisfactory) https://t.co/9CgVITOf9x— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) September 19, 2021
वहीं आज यानी 19 सितंबर को भी केजरीवाल ने एक ट्वीट किया और दिल्लीवासियों को वायु प्रदूषण का स्तर बताया। ट्वीट करते हुए मुख्यमंत्री ने लिखा कि 19 सितंबर के लिए वायु प्रदूषण डेटा –
एक्यूआई- 82 (0 से 50 – अच्छा, 51 से 100 – संतोषजनक)
PM10- 85 (0 से 50 अच्छा, 51 से 100 संतोषजनक)
PM2.5- 35 (0 से 30 अच्छा, 31 से 60 संतोषजनक)
इन ट्वीट के माध्यम से केजरीवाल ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि फिलहाल दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर (Delhi pollution level) सही है। लेकिन अक्टूबर महीने में पराली के कारण ये खराब हो सकता है।
गौरतलब है कि अक्टूबर महीने में दिल्ली से सटे पड़ोसी राज्य में किसानों द्वारा अपने खेतों को साफ करने के लिए पराली जलाई जाती है। जिसका धूंधा दिल्ली के वायु प्रदूषण का स्तर एकदम से खराब कर देते है। दिल्ली में वायु प्रदूषण इस कदर बिगड़ जाता है कि सांसे लेना मुश्किल हो जाता है। PM10- और PM2.5 स्तर खतरे के निशान से कई अधिक पहुंच जाता है। यहां तक की दृश्यता भी कम हो जाती है और हर जगह बस धुंधा दिखता है।