सितोपलादि चूर्ण के फायदे, नुकसान व बनाने की विधि (Sitopaladi churna)

खांसी, जुकाम, गला खराब और अन्य तरह के रोगों को दूर करने में सितोपलादि चूर्ण (Sitopaladi churna) उत्तम साबित होता है। इस चूर्ण को खाकर इन रोगों को आसानी से दूर किया जा सकता है। जिन लोगों को जल्द ही सर्दी लग जाती है, उन लोगों को सितोपलादि चूर्ण (Sitopaladi churna) का सेवन जरूर करना चाहिए। ये एक आयुर्वेदिक चूर्ण है, जिसे खाने से कई रोग दूर हो जाते हैं। सितोपलादि चूर्ण क्या होता है, इसके फायदे व नुकसान, सेवन विधि, तासीर कैसे होती है। इसकी जानकारी इस प्रकार है।

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सितोपलादि चूर्ण क्या है (Sitopaladi churna in Hindi)

आयुर्वेद में सितोपलादि चूर्ण का जिक्र मिलता है और इस चूर्ण का प्रयोग खांसी, जुकाम, अस्थमा को भगाने के लिए किया जाता है। इस चूर्ण को कई प्रकार की जुड़ी बूटियों को मिलाकर तैयार किया जाता है। इसे बनाने के लिए प्राकृतिक चीजों का ही प्रयोग किया जाता है। बाजार में कई कंपनियों द्वारा इस चूर्ण को बेचा जाता है। इसके अलावा आप खुद से भी सितोपलादि चूर्ण घर में बना सकते हैं। अब पढ़ते हैं सितोपलादि चूर्ण के फायदे व नुकसान (sitopaladi churna ke fayde aur nuksan) क्या है।

सितोपलादि चूर्ण के फायदे (sitopaladi churna ke fayde)

जुकाम करे दूर

सितोपलादि चूर्ण का सेवन करने से जुकाम एकदम से सही हो जाता है। जिन लोगों को जुकाम की समस्या रहती है। उन्हें इस चूर्ण को सेवन जरूर करना चाहिए। ये चूर्ण खाने से जुकाम से आराम मिल जाती है। जुकाम होने पर अगर इसका सेवन किया जाए तो दो दिन में ही आराम मिल जाता है।

खांसी से मिले राहत

सितोपलादि चूर्ण खाने से खांसी भी सही हो जाती है। खांसी होने पर आप एक चम्मच इस चूर्ण का सेवन कर लें। ये चूर्ण खाने से खांसी फौरन सही हो जाएगी। सितोपलादि चूर्ण में एंटी-इंफ्लेमेटरी होती है। जो कि खांसी की समस्या को दूर कर देती हैं।

खराश से मिले आराम

अक्सर मौसम बदलने पर खराश की तकलीफ हो जाती है। गले में खराश होने पर कई बार बुखार भी आ जाता है। खराश की परेशानी होने पर सितोपलादि चूर्ण खाना गुणकारी साबित होता है। इस चूर्ण को खाने से गले की खराश एकदम से दूर हो जाती है और गले को आराम पहुंचता है। साथ ही सितोपलादि चूर्ण के फायदे (sitopaladi churna ke fayde) गले में टॉन्सिल की समस्या से भी जुड़े हुए हैं और इसे खाने से टॉन्सिल व गले की दर्द भी दूर हो जाती है।

अस्थमा रोगियों के लिए कारगर

अस्थमा के रोगियों के लिए भी सितोपलादि चूर्ण फायदेमंद होता है। सितोपलादि चूर्ण खाने से सांस की नलियों में होने वाला इंफेक्शन कम हो जाता है। साथ ही बलगम भी जमा नहीं होता है। जिससे की सांस लेने में किसी भी तरह की समस्या नहीं होती है और सांस की नलियां सही से खुली रहती हैं।

एलर्जी करे सही

एलर्जी की समस्या के कारण कई लोगों को एक साथ काफी छींक आती हैं। अधिक छींक आने की समस्या होने पर सितोपलादि चूर्ण का सेवन करें। इसे खाने से छींकों से आराम मिल जाएगा।

भूख की कमी हो दूर

भूख की कमी होने पर खाना खाने का मन नहीं करता है। ऐसे में शरीर में कमजोरी आ जाती है। भूख की कमी की समस्या होने पर सितोपलादि चूर्ण खाना चाहिए। सितोपलादि चूर्ण खाने से भूख की कमी दूर हो जाती है और इससे आराम मिल जाता है।

हाथ पैरों की जलन करे दूर

सितोपलादि चूर्ण हाथ पैरों की जलन से भी आराम दिलाता हैं। इस चूर्ण का सेवन करने से पैरों व हाथों में होने वाली जलन खत्म हो जाता है। इसलिए जिन लोगों को अक्सर हाथों और पैरों में जलन की शिकायत रहती है, वो इस चूर्ण का सेवन जरूर किया करें।

ये थे सितोपलादि चूर्ण के फायदे (sitopaladi churna ke fayde) के बारे में जानकारी, आइए जब नजर डालते हैं सितोपलादि चूर्ण के नुकसान (sitopaladi churna ke nuksan) क्या हैं और किन लोगों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

सितोपलादि चूर्ण के नुकसान (sitopaladi churna ke nuksan)

  • सितोपलादि चूर्ण का सेवन करने से किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं जुड़ा है। हालांकि अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से मन खराब हो सकता है और गंभीर परिस्थिति का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए अधिक मात्रा में और बिना किसी तकलीफ के इसे न खाएं तो बेहतर होगा।
  • शरीर के रक्त शक्कर स्तर पर सितोपलादि चूर्ण से असर पड़ सकता है। इसलिए इसका सेवन मुधमेह से ग्रस्त लोग डॉक्टर की सलाह पर ही करें तो बेहतर होगा।
  • कई लोगों को सितोपलादि चूर्ण खाने से गैस की समस्या पेट में हो जाती है।

सितोपलादि चूर्ण के घटक (sitopaladi churna ingredients)

सितोपलादि चूर्ण के घटकों के थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर मिलाया जाता है। जिससे की ये बनकर तैयार होता है। इसमें मिलाए जाने वाली चीजों एकदम प्राकृतिक होती हैं। सितोपलादि चूर्ण को बनाने में जिन घटकों का प्रयोग किया जाता है, उनके नाम इस प्रकार हैं।

दालचीनी
वंसलोचन
पिप्पली और
इलायची

 

सितोपलादि चूर्ण बनाने की विधि (sitopaladi churna recipe in hindi) –

इसके घटकों के बारे में जानने के बाद आइए अब जानते हैं कि सितोपलादि चूर्ण बनाने की विधि क्या है (sitopaladi churna recipe in hindi)। इस चूर्ण में वंसलोचन सबसे अधिक मात्रा में मिलाया जाता है। उसके बाद पिप्पली की मात्रा सबसे अधिक होती है। इलायची और दालचीनी की मात्रा इस चूर्ण में कम ही होती है। सितोपलादि चूर्ण बनाने के लिए आपको वंसलोचन 80 ग्राम, पिप्पली 40 ग्राम, इलायची 20 ग्राम और दालचीनी 10 ग्राम की जरूरत पड़ेगी। इन सभी चीजों को लेकर अच्छे से पीस लें। इस मिश्रण को फिर मिला लें और एक डब्बे में भरकर रख लें।

सितोपलादि चूर्ण कैसे बनता है ये पढ़ने के बाद नजर डालते हैं, सितोपलादि चूर्ण कैसे खाए (sitopaladi churna uses) जाता है।

सितोपलादि चूर्ण कैसे खाएं (sitopaladi churna uses)

सितोपलादि चूर्ण का सेवन पानी के साथ नहीं किया जाता है। इसे शहद या घी के साथ ही खाया जाता है। एक चम्मच शहद लेकर उसके साथ आप 3 ग्राम चूर्ण खा लें। इसी प्रकार से एक चम्मच घी को हल्का सा गर्म कर उसके साथ सितोपलादि चूर्ण का सेवन कर लें। अगर सूखी खांसी की समस्या है तो इसे शहद के साथ खाना उत्तम होता है। वहीं कफ होने पर आप आधे चम्मच शहद और घी के साथ इसे खा सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (frequently asked questions)

सितोपलादि चूर्ण की तासीर क्या है?

सितोपलादि चूर्ण की तासीर की बात की जाए तो इसकी तासीर ठंडी होती है। कई लोगों को लगता है कि इसकी तासीर गर्म होती है जो कि गलत धारणा है।

सितोपलादि चूर्ण के उपयोग ?

सितोपलादि चूर्ण का उपयोग कई तरह से किया जा सकता है। इस चूर्ण को खाकर खांसी से लेकर जलन तक की समस्या को आसानी से भगाया जा सकता है।

गर्भवस्था में सितोपलादि चूर्ण का सेवन करें?

जी हां, गर्भावस्था में सितोपलादि चूर्ण का सेवन आसानी से किया जा सकता है। लेकिन एक बार इसे खाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेना न भूलें।

इसे खाने से नींद आती है क्या?

सितोपलादि चूर्ण (Sitopaladi churna) खाने के बाद नींद नहीं आती है। कई लोगों को लगता है कि इसे खाने के बाद नींद अधिक आती है, जो कि गलत जानकारी है।

डाबर सितोपलादि चूर्ण प्राइस

डाबर सितोपलादि चूर्ण को आप ऑनलाइन खरीद सकते हैं. इसकी कीमत 455 रुपये की है.

सितोपलादि चूर्ण कितने दिन खाना चाहिए?

सितोपलादि चूर्ण को एक दिन में अधिक न खाएं. इसका सेवन दिन में दो बार करें. सितोपलादि चूर्ण को एक बार में एक चम्मच से अधिक खाने से बचें.

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